राजनीतिक कांग्रेस सरकार कि देखिए
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कांग्रेस ने सोचा था कि भारत 2020- 22 तक इस्लामिक राष्ट्र बन जाएगा इसलिए 2011 से लेकर 2013 तक कम्युनल वायलेंस लॉ को कांग्रेस ने तीन बार लोकसभा में प्रस्तुत किया, परन्तु बीजेपी ने लोकसभा में इसका जोरदार विरोध किया जिस कारण यह हिन्दुओं को गुलाम बनाने वाला कानून पास नहीं हो सका,यदि कानून पास हो जाता तो हिंदू निश्चित रूप से गुलाम हो जाता। इसलिए पहले हीं गाँधी परिवार ने प्रियंका वाड्रा के बेटे का नाम रेहान रखा गया जो एक मुस्लिम नाम है कि कांग्रेस के लोग कह सके कि हमारा तो नेता रेहान है और यह मुस्लिम हैl यह रेहान वाड्रा कि जगह रेहान खान हों जाता फिर यह कांग्रेस पीढ़ी दर पीढ़ी राज्य करती रहती l क्या है यह कानून नीचे पढ़े ! Communal violence Law. हिंदुओ के लिए फांसी का फंदा तैयार करने को कांग्रेस किस तरह से तैयार थी। इस लेख को पूरा पढ़िए। इसे पढ़कर कांप उठेंगे। अफसोस ! मरते न जिन्दा रहते तड़प 2 कर जीते। बहन बेटिया आपके ही सामने हबस का शिकार अलग बनती।
Communal violence Bil
कांग्रेस के लिये जान फूंकने वाले हिंदुओं सुनो मैं कांग्रेस का घोर विरोधी क्यों हूँ।
एंटोनी माइनो” की भयानक खतरनाक साजिश।
*जिसे पढ़कर रोंगटे खड़े हो जायेगा। अगर लागू हो गया होता तो मरना भी दूभर हो जाता। जीने की बात ही छोड़ो। तुम्हारे विनाश वाला बिल जिसे काँग्रेस ने दो बार संसद मे पेश किया। 2005 मे और फिर 2011में कांग्रेस हिंदुओ के खिलाफ ऐसा बिल लेकर आई थी जिसको सुनकर आप कांप उठेंगे। परन्तु भाजपा के जबरदस्त विरोध के कारण वह पास नहीं करवा सकी। मुझे यकीन है कि 96% हिन्दुओ को तो अपने खिलाफ आये इस बिल के बारे में कुछ पता भी नहीं होगा जिसमें शिक्षित हिंदू भी शामिल है। क्योंकि, हिंदू सम्पत्ति जुटाने में लगा है उसको इन सब बातों को जानने के लिए समय नहीं है। जबकि मुसलमान के अनपढ़ भी इतने जागरूक है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान में धर्म के आधार पर प्रताड़ित किये गए हिन्दू व अन्य अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को नागरिकता देने वाले CAA क़ानून के खिलाफ मुसलमान का बच्चा बच्चा उठ खड़ा हुआ। अगर काँग्रेस *दुबारा सत्ता में आई तो यह बिल फिर लेकर आएगी।* *क्या है दंगा नियंत्रण कानून ? हिंदू समाज के लिए फांसी का फंदा, कुछ एक लोगों को इस बिल के बारे में पता होगा, 2011 में इस बिल की रुप रेखा को सोनिया गाँधी की विशेष टीम ने बनाया था जिसे NAC भी कहते थे। इस टीम में दर्जन भर से ज्यादा सदस्य थे और सब वही थे जिन्हें आजकल अर्बन नक्सली कहा जाता है। कांग्रेस का कहना था की इस बिल के जरिये वो देश में होने वाले दंगों को रोकेंगे। अब इस बिल में कई प्रावधानो पर जरा नजर डालिए
इस बिल में प्रावधान था कि दंगों के दौरान दर्ज अल्पसंख्यक से सम्बंधित किसी भी मामले में सुनवाई कोई हिंदू जज नहीं कर सकता था।
अगर कोई अल्पसंख्यक सिर्फ यह आरोप लगा दे कि मुझसे भेदभाव किया गया है तो पुलिस को अधिकार था कि आपके पक्ष को सुने बिना आपको जेल में डालने का हक होगा और इन केसों में जज भी अल्पसंख्यक ही होगा।
इस बिल में ये प्रावधान किया गया था कि कोई भी हिन्दू दंगों के दौरान हिंसा, आगजनी, तोड़-फोड़ के लिये अल्पसंख्यक समुदाय के विरुद्ध केस दर्ज नहीं करवा सकता।
इस बिल में प्रावधान किया गया था, कि अगर कोई अल्पसंख्यक समुदाय का व्यक्ति हिन्दू पर हिंसा, आगजनी, तोड़फोड़, हत्या का आरोप लगाता है तो कोर्ट में साक्ष्य पेश करने की जिम्मेदारी उसकी नहीं है केवल मुकदमा दर्ज करवा देना ही काफ़ी है। बल्कि कोर्ट में निर्दोष साबित होने की जिम्मेदारी उस व्यक्ति की है जिस पर आरोप लगाया गया है।
इस बिल में ये प्रावधान किया गया था कि दंगों के दौरान अल्पसंख्यक समुदाय को हुए किसी भी प्रकार के नुकसान के लिए बहुसंख्यक को जिम्मेदार मानते हुए अल्पसंख्यक समुदाय के नुकसान की भरपाई हिंदू से की जाए। जबकि बहुसंख्यक के नुकसान के लिए अल्पसंख्यक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता था।
अगर आपके घर में कोई कमरा खाली है और कोई मुस्लिम आपके घर आता है उसे किराए पर मांगने के लिए तो आप उसे कमरा देने से इंकार नहीं कर सकते थे। क्योंकि, उसे बस इतना ही कहना था कि आपने उसे मुसलमान होने की वजह से कमरा देने से मना कर दिया यानि आपकी बहन बेटी को छेड़ने वाले किसी अल्पसंख्यक के खिलाफ भी हम कुछ नहीं कर सकते थे। मतलब कि अगर कोई छेड़े तो छेड़ते रहने दो वर्ना वो आपके खिलाफ कुछ भी आरोप लगा देता। आपकी सीधी गिरफ़्तारी और ऊपर से जज भी अल्पसंख्यक।
देश के किसी भी हिस्से में दंगा होता, चाहे वो मुस्लिम बहुल इलाका ही क्यों न हो, दंगा चाहे कोई भी शुरू करता, पर दंगे के लिए उस इलाके के वयस्क हिन्दू पुरुषों को ही दोषी माना जाता और उनके खिलाफ केस दर्ज कर जांचें शुरू होती। और इस स्थिति में भी जज केवल अल्पसंख्यक ही होता ऐसे किसी भी दंगे में चाहे किसी ने भी शुरू किया हो।
अगर दंगों वाले इलाके में किसी भी हिन्दू बच्ची या हिन्दू महिला का रेप होता तो उसे रेप ही नहीं माना जाता। बहुसंख्यक है हिन्दू इसलिए उसकी महिला का रेप रेप नहीं माना जायेगा और इतना ही नहीं कोई हिन्दू महिला बलात्कार की पीड़ित हो जाती और वो शिकायत करने जाती तो अल्पसंख्यक के खिलाफ नफरत फ़ैलाने का केस उस पर अलग से डाला जाता।
इस एक्ट में एक और प्रस्ताव था जिसके तहत आपको पुलिस पकड़ कर ले जाती अगर आप पूछते की आपने अपराध क्या किया है तो पुलिस कहती की तुमने अल्पसंख्यक के खिलाफ अपराध किया है, तो आप पूछते की उस अल्पसंख्यक का नाम तो बताओ, तो पुलिस कहती, नहीं शिकायतकर्ता का नाम गुप्त रखा जायेगा।
कांग्रेस के दंगा नियंत्रण कानून में ये भी प्रावधान था की कोई भी इलाका हो बहुसंख्यको को अपने किसी भी धार्मिक कार्यक्रम से पहले वहां के अल्पसंख्यकों का NOC लेना जरुरी होता यानि उन्हें कार्यक्रम से कोई समस्या तो नहीं है। ऐसे हालात में अल्पसंख्यक बैठे बैठे जजिया कमाते क्यूंकि आपको कोई भी धार्मिक काम से पहले उनकी NOC लेनी होती। और वो आपसे पैसे की वसूली करते और आप शिकायत करते तो भेदभाव का केस आप पर और ऐसे हालात में जज भी अल्पसंख्यक।
और भी अनेको प्रावधान थे कांग्रेस के इस दंगा नियंत्रण कानून में जिसे अंग्रेजी में # Communal Violence Bill भी कहते है। सुब्रमण्यम स्वामी ने इस बिल का सबसे पहले विरोध शुरू किया था और उन्होंने इस बिल के बारे में लोगों को जब बताया था तो 2012 में हिन्दू काँप उठे थे। तभी से कांग्रेस के खिलाफ हिन्दुओं ने एकजुट होना शुरू कर दिया था। श्री सुब्रमण्यम स्वामी का पूरा लेक्चर इस Communal Violence Bill पर आज भी मौजूद है, 45 मिनट से ज्यादा का है। आप चाहे तो यू टयूब पर सर्च कर लें, और अच्छे से सुन लें। अब इस के बाद भी जो हिन्दू कांग्रेस को support करता है वे जाने अनजाने अपने ही लोगो के लिए नरक का द्वार खोल रहे हो इसे जानो।
*नोट – इस सन्देश को जरूर शेयर करो इस हिन्दू विरोधी ओर राष्ट्रद्रोही कोंग्रेस को देश व जनता के सामने नंगा करदो। इसे आप नेट, यू ट्यूब,गूगल पर भी सर्च कर सकते हैं !!*
*बड़े बड़े न्यूज चैनलों पर यह बिल सुर्खिया बना हुआ करती थी पर जब 2014 में मोदी सरकार आई तो यह शडयंत्र धरा का धरा रह गया।और शायद लोग इसे भूल भी गये है।🚩🇳🇪🔥🙏
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